कहते हैं कि पहाड़ बोलते नहीं।
लेकिन जब मैं मनाली पहुँचा, तो महसूस हुआ — अगर ध्यान से सुनो, तो ये फुसफुसाते हैं।
ये सिर्फ एक ट्रैवल पोस्ट नहीं है।
ये उस सफ़र की बात है जहाँ मैंने नज़ारों से ज़्यादा खुद को महसूस किया।
अगर आप ऐसी जगह की तलाश में हैं जो सिर्फ बाहर नहीं, भीतर से भी आपको बदल दे, तो मनाली ज़रूर जाइए।